आज हम बना रहे हैं चंपारण मटन। यह हमारा 3 किलो मटन है, जिसमें सिर्फ नली, चाप, गर्दन और कमर का पीस मिलेगा। इसके अलावा और कोई पीस नहीं मिलेगा। साहब, यह देखिए, दस्ती का पीस है, जो झटके का मटन होता है, इसमें ब्लड ज्यादा रहता है। अब मैं इसके अंदर प्याज डाल देता हूं, जिससे वही स्वाद मिलेगा, जो पहले था। तेल बिल्कुल गरम है, अब इसमें मसाले डालने की तैयारी हो रही है। बड़ी इलायची, छोटी इलायची, जावित्री, जायफल, और अद्भुत मसाले डालने हैं। यहां मैंने बोर्ड लगाया है, जिससे 10-12 किलो तक माल तैयार हो जाता है।
खुशबू तो सर, दूर-दूर तक आ रही है। लोग आते हैं और पूछते हैं, क्या बन रहा है। सच्ची, यह मौसम और माहौल मटन के स्वाद को और बढ़ा देते हैं। जब मटन पकता है, उसकी खुशबू ही अलग होती है। आप देखिए, यह प्याज और मसाले मटन में घुलकर स्वाद को और बढ़ा रहे हैं। इस मटन को बनाने में कुछ खास टिप्स हैं, जैसे कि लहसुन का पेस्ट और दही डालना, जो स्वाद को और बढ़ा देता है।
राकेश जी ने बताया कि उनके पास आने वाले ग्राहक सिर्फ जयपुर से ही नहीं, बल्कि चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब से भी आते हैं। वे कहते हैं कि जब से वीडियो बनाई है, तब से उनका मटन बेहद प्रसिद्ध हो गया है। यहां पर जो मसाले होते हैं, वह वही रहते हैं, बस अनुपात में बदलाव होता है, जिससे स्वाद का संतुलन बनता है।
मटन पकाने के दौरान, मटकी में पकाने का एक अलग ही तरीका होता है। इस मटन को हम मिट्टी के बर्तन में पकाते हैं, जिससे स्वाद में और गहराई आ जाती है। आपको कुकर या एल्यूमिनियम के बर्तनों से नहीं, बल्कि हांडी में बने मटन का स्वाद ही अलग होता है। और यही तरीका है, जो इस मटन को खास बनाता है।
अब मटन तैयार हो चुका है, और इसका स्वाद टेस्ट करते हैं। स्वाद का यह राज सिर्फ इस स्थान की वजह से और मसालों की वजह से है। यहाँ का वातावरण और मसाले, दोनों ही मिलकर इस मटन को एक लाजवाब अनुभव बना देते हैं।
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